ये शहर के बासी क्या जानें क्या रूप है - बेकल उत्साही

ये शहर के बासी क्या जानें क्या रूप है गाँव के पनघट का

ये शहर के बासी क्या जानें क्या रूप है गाँव के पनघट का
क्या इश्क़ है लाज की अल्हड़ का क्या हुस्न है मोह के नट-खट का

वा'दों की हवा अमराई में यादों की फ़ज़ा अँगनाई में
मिलने की दुआ तन्हाई में सन्नाटे में धोका आहट का

आँचल में छुपी ममता की मया कथरी में दबी भगवन की दया
लाता है कोई संदेश नया पल पल में बदलना करवट का

चूल्हे का तवा मुस्काता हुआ जुगनू भी उड़े शरमाता हुआ
परदेसी की याद दिलाता हुआ ख़ामोश दिया इक चौखट का

गलियारों में मध टपकाता हुआ कुटियों की सुधा नहलाता हुआ
आँगन में नयन मटकाता हुआ है चाँद औरोनी पर लटका

थक हार के जो भी आता है जी भर के प्यास बुझाता है
ऐ धर्म पे मरने वाले बता क्या धर्म है नदिया के तट का

'बेकल' तिरा पग पग नाम यहाँ उत्साही तिरे सब काम यहाँ
तिरी भोर यहाँ तिरी शाम यहाँ फिर काहे फिरे भटका भटका - बेकल उत्साही


ye shahar ke basi kya jaane kya rup hai gaon ke panghat ka

ye shahar ke basi kya jaane kya rup hai gaon ke panghat ka
kya ishq hai laj ki alhad ka kya husn hai moh ke nat-khat ka

wadon ki hawa amrai mein yaadon ki faza angnai mein
milne ki dua tanhai mein sannate mein dhoka aahat ka

aanchal mein chhupi mamta ki maya kathri mein dabi bhagwan ki daya
lata hai koi sandesh naya pal pal mein badalna karwat ka

chulhe ka tawa muskata hua jugnu bhi ude sharmata hua
pardesi ki yaad dilata hua khamosh diya ek chaukhat ka

galiyaron mein madh tapkata hua kutiyon ki sudha nahlata hua
aangan mein nayan matkata hua hai chand aurauni par latka

thak haar ke jo bhi aata hai ji bhar ke pyas bujhata hai
ai dharm pe marne wale bata kya dharm hai nadiya ke tat ka

'bekal' tera pag pag nam yahan utsahi tere sab kaam yahan
teri bhor yahan teri sham yahan phir kahe phire bhatka bhatka - Bekal Utsahi
ये शहर के बासी क्या जानें क्या रूप है गाँव के पनघट का

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