न कमरा जान पाता है, न अँगनाई समझती है - मुनव्वर राना

न कमरा जान पाता है, न अँगनाई समझती है कहाँ देवर का दिल अटका है भौजाई समझती है हमारे और उसके बीच एक धागे का रिश्ता है हमें लेकिन हमेशा वो सगा भाई समझती है

न कमरा जान पाता है, न अँगनाई समझती है

न कमरा जान पाता है, न अँगनाई समझती है
कहाँ देवर का दिल अटका है भौजाई समझती है

हमारे और उसके बीच एक धागे का रिश्ता है
हमें लेकिन हमेशा वो सगा भाई समझती है

तमाशा बन के रह जाओगे तुम भी सबकी नज़रों में
ये दुनिया दिल के टाँकों को भी तुरपाई समझती है

नहीं तो रास्ता तकने आँखें बह गईं होतीं
कहाँ तक साथ देना है ये बीनाई समझती है

मैं हर ऐज़ाज़ को अपने हुनर से कम समझता हूँ
हुक़ुमत भीख देने को भी भरपाई समझती है

हमारी बेबसी पर ये दरो-दीवार रोते हैं
हमारी छटपटाहट क़ैद-ए-तन्हाई समझती है

अगर तू ख़ुद नहीं आता तो तेरी याद ही आए
बहुत तन्हा हमें कुछ दिन से तन्हाई समझती है - मुनव्वर राना


na kamra jaan pata hai, na angnaai samjhati hai

na kamra jaan pata hai, na angnaai samjhati hai
kahan dewar ka dil atka hai, bhaujaai samjhati hai

hamare aur uske beech ek dhage ka rishta hai
hame lekin hamesha jo saga bhai samjhati hai

tamasha ban ke rah jaoge tum bhi sabki najro mein
ye duniya dil ke taanko ko bhi turpai samjhati hai

nain to rasta takne aankhe bah gai hoti
kahan tak sath dena hai ye binai samjhati hai

mai har ejaz ko apne hunar se kam samjhata hun
hukumat bheekh dene ko bhi bharpai samjhati hai

hamari bebasi par ye dar-o-deewar rote hai
hamari chhatpatahat kaid-e-tanhai samjhati hai

agar tu khud nahin aata to teri yaad hi aae
bahut tanha hame kuchh din se tanhai samjhati hai -Munawwar Rana

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