दुनिया लुटी तो दूर से तकता ही रह गया - इब्राहीम अश्क

दुनिया लुटी तो दूर से तकता ही रह गया आँखों में घर के ख़्वाब का नक़्शा ही रह गया दुनिया बहुत क़रीब से उठ कर चली गई बैठा मैं अपने घर में अकेला ही रह गया

दुनिया लुटी तो दूर से तकता ही रह गया

दुनिया लुटी तो दूर से तकता ही रह गया
आँखों में घर के ख़्वाब का नक़्शा ही रह गया

उस के बदन का लोच था दरिया की मौज में
साहिल से मैं बहाव को तकता ही रह गया

दुनिया बहुत क़रीब से उठ कर चली गई
बैठा मैं अपने घर में अकेला ही रह गया

वो अपना अक्स भूल के जाने लगा तो मैं
आवाज़ दे के उस को बुलाता ही रह गया

हमराह उस के सारी बहारें चली गईं
मेरी ज़बाँ पे फूल का चर्चा ही रह गया

कुछ इस अदा से आ के मिला हम से 'अश्क' वो
आँखों में जज़्ब हो के सरापा ही रह गया - इब्राहीम अश्क


duniya luti to dur se takta hi rah gaya

duniya luti to dur se takta hi rah gaya
aankhon mein ghar ke khwab ka naqsha hi rah gaya

us ke badan ka loch tha dariya ki mauj mein
sahil se main bahaw ko takta hi rah gaya

duniya bahut qarib se uth kar chali gai
baitha main apne ghar mein akela hi rah gaya

wo apna aks bhul ke jaane laga to main
aawaz de ke us ko bulata hi rah gaya

hamrah us ke sari bahaaren chali gain
meri zaban pe phul ka charcha hi rah gaya

kuchh is ada se aa ke mila hum se 'ashk' wo
aankhon mein jazb ho ke sarapa hi rah gaya - Ibrahim Ashk

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