बहुत से मोड़ हो जिसमें कहानी अच्छी लगती है - अशोक मिजाज़

बहुत से मोड़ हो जिसमें कहानी अच्छी लगती है निशानी छोड़ जाये वो जवानी अच्छी लगती है सुनाऊ कौन से किरदार बच्चो को कि अब उनको न राजा अच्छा लगता है न रानी अच्छी लगती है - अशोक मिजाज़

बहुत से मोड़ हो जिसमें कहानी अच्छी लगती है

बहुत से मोड़ हो जिसमें कहानी अच्छी लगती है
निशानी छोड़ जाये वो जवानी अच्छी लगती है

सुनाऊ कौन से किरदार बच्चो को कि अब उनको
न राजा अच्छा लगता है न रानी अच्छी लगती है

खुदा से या सनम से या किसी पत्थर की मूरत से
मुहब्बत हो अगर तो जिंदगानी अच्छी लगती है

पुरानी ये कहावत है सुनो सब की करो मन की
खुद अपने दिल पे खुद की हुक्मरानी अच्छी लगती है

ग़ज़ल जैसी तेरी सूरत ग़ज़ल जैसी तेरी सीरत
ग़ज़ल जैसी तेरी सादा बयानी अच्छी लगती है

गुजारो साथ सत्तर साल मैदाने अदब में फिर
कलम के ज़ोर से निकली कहानी अच्छी लगती है

मै शायर हूँ ग़ज़ल कहने का मुझको शौक है लेकिन
ग़ज़ल मेरी मुझे तेरी ज़ुबानी अच्छी लगती है - अशोक मिजाज़


bahut se mod ho jisme kahani achchi lagti hai

bahut se mod ho jisme kahani achchi lagti hai
nishani chhod jaye wo jawani achchi lagti hai

sunau koun se kirdar bachcho ko ki ab unko
n raja achcha lagta hai n rani achchi lagti hai

khuda se ya sanam se ya kisi patthar ki murat se
muhbbat ho agar to zindgani achchi lagti hai

purani ye kahawat hai suno sab ki karo man ki
khud apne dil pe khud ki hukmrani achchi lagti hai

ghazal jaisi teri surat ghazal jaisi teri seerat
ghazal jaisi teri sada bayani achchi lagti hai

gujaro sath sattar saal maidane adab me phir
kalam ke zor se nikli kahani achchi lagti hai

mai shayar hun ghazal kahne ka mujhko shouk hai lekin
ghazal meri tujhe teri zubani achchi lagti hai - Ashok Mijaz

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