बड़ी रौनक थी इस घर में, ये घर ऐसा नहीं था - जावेद अख़्तर

बड़ी रौनक थी इस घर में, ये घर ऐसा नहीं था गिले-शिकवे भी रहते थे, मगर ऐसा नहीं था जहां कुछ शीरीं बातें थीं, वहीं कुछ तल्ख बातें थीं मगर उन तल्ख बातों का असर ऐसा नहीं था

बड़ी रौनक थी इस घर में, ये घर ऐसा नहीं था

बड़ी रौनक थी इस घर में, ये घर ऐसा नहीं था,
गिले-शिकवे भी रहते थे, मगर ऐसा नहीं था।

जहां कुछ शीरीं बातें थीं, वहीं कुछ तल्ख बातें थीं,
मगर उन तल्ख बातों का असर ऐसा नहीं था।

इन्हीं शाखों पे गुल थे, बर्ग थे, कलियां थीं, गुंचे थे,
ये मौसम जब न ऐसा था, शजर ऐसा नहीं था - जावेद अख़्तर


badi raunak thi is ghar me, ye ghar aisa nahin tha

badi raunak thi is ghar me, ye ghar aisa nahin tha
gile-shikwe bhi rahte the, magar aisa nahin tha

jahan kuchh shiri bate thi, wahi kuchh talkh baate thi
magar un talkh baato ka asar aisa nahin tha

inhi shaakho pe gul the, barg the, kaliyan thi, gunche the
ye mausam jab n aisa tha, shazar aisa nahin tha - Javed Akhtar

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