रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे - शकील जमाली

रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे हर साज़िश के पीछे अपने निकलेंगे

रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे

रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे
हर साज़िश के पीछे अपने निकलेंगे

चाँद सितारे गोद में आ कर बैठ गए
सोचा ये था पहली बस से निकलेंगे

सब उम्मीदों के पीछे मायूसी है
तोड़ो ये बादाम भी कड़वे निकलेंगे

मैं ने रिश्ते ताक़ पे रख कर पूछ लिया
इक छत पर कितने परनाले निकलेंगे

जाने कब ये दौड़ थमेगी साँसों की
जाने कब पैरों से जूते निकलेंगे

हर कोने से तेरी ख़ुशबू आएगी
हर संदूक़ में तेरे कपड़े निकलेंगे

अपने ख़ून से इतनी तो उम्मीदें हैं
अपने बच्चे भीड़ से आगे निकलेंगे - शकील जमाली


rishton ki daldal se kaise niklenge

rishton ki daldal se kaise niklenge
har sazish ke pichhe apne niklenge

chand sitare god mein aa kar baith gae
socha ye tha pahli bus se niklenge

sab ummidon ke pichhe mayusi hai
todo ye baadam bhi kadwe niklenge

main ne rishte taq pe rakh kar puchh liya
ek chhat par kitne parnale niklenge

jaane kab ye daud thamegi sanson ki
jaane kab pairon se jute niklenge

har kone se teri khushbu aaegi
har sanduq mein tere kapde niklenge

apne khun se itni to ummiden hain
apne bachche bhid se aage niklenge - Shakeel Jamali

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