आँखों से जो दूर थे पहले, दिल से भी अब दूर हुए - नसीम अजमेरी

आँखों से जो दूर थे पहले, दिल से भी अब दूर हुए

आँखों से जो दूर थे पहले, दिल से भी अब दूर हुए

आँखों से जो दूर थे पहले, दिल से भी अब दूर हुए
वार तेरे तो गर्दिशे-दौरा, जब भी हुए भरपूर हुए

लौट गई यु खुशिया आकार, जैसे देखा कोई ख्वाब
उम्मीदों के शीश-महल क्या, रोज बने और चूर हुए

बहते आसू सबने देखे, दर्द न कोई जान सका
हो के रही गुमनाम हकीकत, अफसाने मशहूर हुए

दिल को तसल्ली देते-देते आखिर उम्र तमाम हुई
रंजो-अलम अब दूर हुए, अब दूर हुए, अब दूर हुए

फितरत ही आजाद हो जिसकी, कैद करे है किसकी मजाल
बहरे-मुहब्बत लाख मुरत्तब आइनों-दस्तूर हुए - नसीम अजमेरी
मायने
गर्दिशे-दौरा = ज़माने के उतार-चढाव, रंजो-अलम = दुख दर्द, फितरत = प्रकृति, बहरे-मुहब्बत = मुहब्बत के लिए, मुरत्तब = संग्रह करना, आइनों-दस्तूर = कानून कायदे


aankho se jo door the pahle, dil se bhi ab door hue

aankho se jo door the pahle, dil se bhi ab door hue
waar tere t gardishe-dooraan, jab bhi hue bharpoor hue

lout gayi yun khushiyan aakar, jaise dekha koi khwab
ummido ke shish-mahal kya, roj bane aur choor hue

bahte aansu sabne dekhe, dard n koi jaan saka
ho ke rahi gumnam haqikat, afsane mashhoor hue

dil ko taslli dete-dete aakhir umra tamaam hui
ranjo-alam ab door hue, ab door hue, ab door hue

fitrat hi aazad ho jiski, kaid kare hai kiski mazal
bahre-muhbbat laakh murttab aaino-dastoor hue- Naseem Ajmeri

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