अब ये ऐलान मेरी जान विधिवत कर दो - अज़हर इक़बाल

अब ये ऐलान मेरी जान विधिवत कर दो मैं तुम्हारा ही रहूँ,ऐसी वसीयत कर दो

अब ये ऐलान मेरी जान विधिवत कर दो

अब ये ऐलान मेरी जान विधिवत कर दो
मैं तुम्हारा ही रहूँ,ऐसी वसीयत कर दो

मेरे जीवन मे किसी व्रक्ष की भांति आओ
अपने साये मे रखो और तथागत कर दो

मैं जुदाई का वो क्षण हुँ, जो सदा याद रहे
अपने माथे से लगाकर मुझे अक्षत कर दो

तुम ना देखो तो यहाँ कौन मुझे देखेगा?
तुम जो चाहो मेरी आगत को अनागत कर दो

फिर चली आओ मेरे पास बिछड़ने के लिये
मन की पीड़ा को मेरी जान यथावत कर दो - अज़हर इक़बाल


ab ye elan meri jaan vidhivat kar do

ab ye elan meri jaan vidhivat kar do
mai tumhara hu rahun aisi wasiyat kar do

mere jeevan mein kisi vriksh ki bhati aao
apne saaye me rahkho aur tathagat kar do

mai judaai ka wo kshan hun, jo sada yaad rahe
apne mathe se lagakar akshat kar do

tum na dekho to yahan kaun mujhe dekhega?
tum jo chaho meri aagat ko anagat kar do

phir chali aao mere paas bichhadne ke liye
man ki peeda ko meri jaan yathavat kar do - Azhar Iqbal

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