परिंदा हद्द-ए-नज़र तक जो आसमान में है - ग़नी एजाज़

परिंदा हद्द-ए-नज़र तक जो आसमान में है परों में ज़ोर कहाँ हौसला उड़ान में है गिरेगी कौन सी छत पे ये कब किसे मालूम कटी पतंग हवाओं के इम्तिहान में है

परिंदा हद्द-ए-नज़र तक जो आसमान में है

परिंदा हद्द-ए-नज़र तक जो आसमान में है
परों में ज़ोर कहाँ हौसला उड़ान में है

अभी से भीग रहा है हदफ़ पसीने में
कि तीर छूटा नहीं है अभी कमान में है

गिरेगी कौन सी छत पे ये कब किसे मालूम
कटी पतंग हवाओं के इम्तिहान में है

सुकून-ए-क़ल्ब को महलों में ढूँडने वालो
सुकून-ए-क़ल्ब फ़क़ीरों के ख़ानदान में है

ख़रीदना है जो तोहफ़ा तुम्हें मोहब्बत का
मिलेगा दिल के एवज़ दर्द की दुकान में है

हयात-ओ-मौत फ़क़त नाम घर बदलने का
समेट रक्खा है सामान साएबान में है - ग़नी एजाज़


parinda hadd-e-nazar tak jo aasman mein hai

parinda hadd-e-nazar tak jo aasman mein hai
paron mein zor kahan hausla udan mein hai

abhi se bhig raha hai hadaf pasine mein
ki tir chhuta nahin hai abhi kaman mein hai

giregi kaun si chhat pe ye kab kise malum
kati patang hawaon ke imtihan mein hai

sukun-e-qalb ko mahlon mein dhundne walo
sukun-e-qalb faqiron ke khandan mein hai

kharidna hai jo tohfa tumhein mohabbat ka
milega dil ke ewaz dard ki dukan mein hai

hayat-o-maut faqat nam ghar badalne ka
samet rakkha hai saman saeban mein hai -Ghani Ejaz

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