लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में
लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार मेंकिस की बनी है आलम-ए-ना-पाएदार में
इन हसरतों से कह दो कहीं और जा बसें
इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दाग़-दार में
काँटों को मत निकाल चमन से ओ बाग़बाँ
ये भी गुलों के साथ पले हैं बहार में
बुलबुल को बाग़बाँ से न सय्याद से गिला
क़िस्मत में क़ैद लिक्खी थी फ़स्ल-ए-बहार में
कितना है बद-नसीब 'ज़फ़र' दफ़्न के लिए
दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में - बहादुर शाह ज़फर
Lagta nahi hai dil mera ujde dayar me
Lagta nahi hai dil mera ujde dayar mekiski bani hai aalam-e-na-paedar me
kah do n in hasrato se kahi aur ja base
itni jagah kaha hai din-e-dagdar me
bulbul se koi shikwa n sayyad se gila
kismat me kaid likhi thi fasl-e-bahar me
umra-e-daraj mang ke laye the char din
do aarzu me kat gaye, do intezaar me
kitna hai badnaseeb zafar dafan ke liye
do gaz zameen bhi n mili ku-e-yaar me - Bahadur Shah Zafar