बहुत मिला न मिला ज़िन्दगी से ग़म क्या है
मता-ए-दर्द बहम है तो बेश-ओ-कम क्या है
हम एक उम्र से वाक़िफ़ हैं अब न समझाओ
के लुत्फ़ क्या है मेरे मेहरबाँ सितम क्या है
करे न जग में अलाव तो शेर किस मक़सद
करे न शहर में जल-थल तो चश्म-ए-नम क्या है
अजल के हाथ कोई आ रहा है परवाना
न जाने आज की फ़ेहरिस्त में रक़म क्या है
सजाओ बज़्म ग़ज़ल गाओ जाम ताज़ा करो
बहुत सही ग़म-ए-गेती शराब कम क्या है
लिहाज़ में कोई कुछ दूर साथ चलता है
वरना दहर में अब ख़िज़्र का भरम क्या है - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
bahut mila na mila zindagi se gham kya hai
bahut mila na mila zindagi se gham kya haimata-e-dard baham hai to besh-o-kam kya hai
ham ek umr se waqif hai ab n samjhao
ke lutf kya hai mere mehraban sitam kya hai
kare n jag me alaav to sher kis maksad
kare n shahar me jal-thal to chashm-e-nam kya hai
azal ke hath koi aa raha hai parwana
n jane aaj ki fehrist me rakam kya hai
sajao bazm ghazal gaao zaam taza karo
bahut sahi gham-e-geti sharab kam kya hai
lihaaz me koi kuchh door sath chalta hai
warna dahar me ab khizr ka bharam kya hai - Faiz Ahmad Faiz