कभी-कभी खुद से लड़ता हूँ मै - देवेन्द्र देव

कभी-कभी खुद से लड़ता हूँ मै

कभी-कभी खुद से लड़ता हूँ मै
कभी जीत तो कभी हार जाता हूँ मै

कई बाज़ी खेली है खुद के साथ मैंने
पर असल जिन्दगी में हार जाता हूँ मै

टुटा हूँ पर गिरा नहीं अपनी नजरो से
कभी अकेले मै यूँ ही मुस्कुराता हूँ मै

कभी लिखू तो सारे कागज कम हो जाते है
लिखने को सोचने में वक़्त जाया कर जाता हूँ मै - देवेन्द्र देव


kabhi-kabhi khud se ladta hun main

kabhi-kabhi khud se ladta hun main
kabhi jeet to kabhi haar jata hun main

kai baazi kheli hai khud ke sath maine
par asal zindagi me haar jata hun main

tuta hun par gira nahin apni nazro se
kabhi akele me yun hi muskurata hun main

kabhi likhu to sare kagaz kam ho jate hai
likhne ko sochne me waqt jaya kar jata hun main - Devendra Dev

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