कैसे कैसे उजले चेहरे, कैसे कैसे प्यारे लोग
कैसे कैसे उजले चेहरे, कैसे कैसे प्यारे लोगइस जादूनगरी में आकर, लुट गए हम बंजारे लोग
आज ये कैसा सन्नाटा है, आवाज़ो की बस्ती में
क्यूँ फिरते है सहमे-सहमे, चुप साधे, दम मारे लोग
नई डगर के हर राही को, कुछ दिन पागल कहते है,
फिर उस पागल ही के पीछे लग जाते है सारे लोग
बाहर की नूतन दुनियां के रंग-रूप को क्या जाने
ऊँची-ऊँची दीवारों में घिरे हुए बेचारे लोग
तूफ़ानी लहरों में 'साबिर' नाव किसी की डूब गई
खेल समझ के रहे देखते, बैठे नदी किनारे लोग - नौबहार साबिर
kaise kaise ujale chehre, kaise kaise pyare log
kaise kaise ujale chehre, kaise kaise pyare logis jadunagari me aakar, lut gaye ham banjare log
aaj ye kaisa sannata hai, aawazo ki basti me
kyun firte hai sahme-sahme, chup sadhe, dam maare log
nai dagar ke har raahi ko, kuch paagal kahte hai
phir us pagal hi ke pichhe lag jate hai sare log
baahar ki nutan duniya ke rang roop ko kya jaane
unchi-unchi deewaro me ghire hue bechare log
tufani lahro me 'Sabir' naav kisi ki dub gai
khel samajh ke rahe dekhte, baithe nadi kinare log - Naubahar Sabir
नई डगर के हर राही को, कुछ दिन पागल कहते है, फिर उस पागल ही के पीछे लग जाते है सारे लोग --
बहुत अच्छी लगी ये पंक्तियाँ।
धन्यवाद