एक-एक मस्जिद, सारे मंदिर, हर गुरुद्वारा डूब गया - परवेज़ मुजफ्फर

परवेज़ मुजफ्फर

एक-एक मस्जिद, सारे मंदिर, हर गुरुद्वारा डूब गया

एक-एक मस्जिद, सारे मंदिर, हर गुरुद्वारा डूब गया
बिजली घर का बाँध बना तो गाँव हमारा डूब गया

बस्ती वालों से कहता था घबराना मत, में जो हूँ
नाव बनाने वाला मांझी, वो बेचारा डूब गया

जाने कैसे इतना पानी छलका चाँद कटोरे से
जिस में हर एक जगमग जगमग टीम-टीम तारा डूब गया

एक प्रेमी जोड़ा डूबा था जिस दरिया में कल रात
आज समंदर में जा कर वो दरिया सारा डूब गया

अपनी क़िस्मत को कोसें या कश्ती को रोए परवेज़
हम साहिल पर पहुंचे ही थे और किनारा डूब गया- परवेज़ मुजफ्फर


ek ek masjid, sare mandir, har gurudwara doob gaya

Ek-ek Masjid, sare mandir, har gurudwara dub gaya
bijli ghar ka baandh bana to gaanv/gaon hamara doob gaya

basti walo se kahta tha ghabrana mat, mai jo hu
naav banane wala manjhi, wo bechara doob gaya

jane kaise itna paani chalaka chand katore se
jis me har ek jagmag-jagmag tim-tim tara doob gaya

ek premi joda duba tha jis dariya me kal raat
aaj samndar me ja kar wo dariya sara doob gaya

apni kismat ko kose ya kashti ko roye parvez
ham sahil par pahuche hi the aur kinara doob gaya - Parvez Muzaffar
परवेज़ मुजफ्फर आप शायर मुजफ्फर हनफ़ी साहब के सुपुत्र है और खुद भी एक शायर है आपकी "थोड़ी सी रौशनी - शायरी" नाम से किताब प्रकाशित हो चुकी है | जन्म मुजफ्फर नगर में हुआ फिर बचपन भोपाल में और फ़िलहाल बर्किघम में है |

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