दिल माँगे है मौसम फिर उम्मीदों का
दिल माँगे है मौसम फिर उम्मीदों काचार तरफ़ संगीत रचा हो झरनों का
हम ने भी तकलीफ़ उठाई है आख़िर
आप बुरा क्यूँ मानें सच्ची बातों का
जाने अब क्यूँ दिल का पंछी है गुम-सुम
जब पेड़ों पर शोर मचा है चिड़ियों का
रात गए तक राह वो मेरी देखेगा
मुझ पर है इक ख़ौफ़ सा तारी राहों का
मेरे माथे पर कुछ लम्हे उतरे थे
अब भी याद है ज़ाइक़ा उस के होंटों का
पूरे चाँद की रात मगर ख़ामोशी है
मौसम तो है भीगी भीगी बातों का- समीना राजा
समीना राजा पकिस्तान की मशहूर लेखक, शायरा, शिक्षाविद थी | आप इस्लामाबाद में रहती थी |
समीना राजा का जन्म बहवालपुर पकिस्तान में हुआ, आपने पंजाब University से उर्दू साहित्य में M.A. किया | आपने लेखन की शुरुवात 1973 में की | और आपने काफी अंग्रेजी किताबो का उर्दू में अनुवाद किया |
आप National Book Foundation से एक सलाहकार के तौर पर और 1998 में मासिक "किताब " के संपादक के रूप में जुड़ी | आप इसी वर्ष मासिक पत्रिका "अशआर" की भी संपादक बनी |
आपकी 1973 में लेखन की शुरुवात के बाद कई किताबे छपी जिनमे :
आपकी अन्य किताबे
- हुवेदा Huweda (1995)
- शहर-ए-ए-सबा Shehr e saba (1997)
- और विसाल Aur Wisal (1998)
- ख्वाब ने Khwabnaey (1998)
- बाग ए शब् Bagh e Shab (1999)
- बज्दीद Bazdeed (2000)
- हफ्त आसमां Haft Aasman (2001)
- परीखाना Parikhana (2002)
- अदन के रस्ते पर Adan Ke Rastey Par (2003)
- दिल ए लैला Dil e Laila (2004)
- इश्कबाद Ishqabad (2006)
- हिज्र-नामा Hijr Nama (2008)
आपका इंतकाल केंसर के चलते 30 अक्टूम्बर 2012 को इस्लामाबाद में हुआ |
- किता-ए-ख्वाब ( 2004)
- किताब-ए-जान (2005)
- वो शाम ज़रा सी गहरी थी (2005)
Dil Mange Hai Mousam Phir Ummido Ka
dil mange hai mousam phir ummido kachar taraf sangeet racha ho jharno ka
ham ne bhi takleef uthai hai aakhir
aap bura kyo mane sachchi baato ka
jane ab kyu dil ka panchhi hai gul-sum
jab pedo par shor macha hai chidiyo ka
raat gaye tak raah wo meri dekhega
mujh par hai ek khouf sa tari raaho ka
mere mathe par kuch lamhe utre the
ab bhi yaad hai zaika us ke hotho ka
pure chaand ki raat magar khamoshi hai
mousam to hai bhigi bhigi baato ka- Sameena Raja