बैर दुनिया से क़बीले से लड़ाई लेते
बैर दुनिया से क़बीले से लड़ाई लेतेएक सच के लिए किस किस से बुराई लेते
आबले अपने ही अँगारों के ताज़ा हैं अभी
लोग क्यूँ आग हथेली पे पराई लेते
बर्फ़ की तरह दिसम्बर का सफ़र होता है
हम उसे साथ न लेते तो रज़ाई लेते
कितना मानूस सा हमदर्दों का ये दर्द रहा
इश्क़ कुछ रोग नहीं था जो दवाई लेते
चाँद रातों में हमें डसता है दिन में सूरज
शर्म आती है अँधेरों से कमाई लेते
तुम ने जो तोड़ दिए ख़्वाब हम उन के बदले
कोई क़ीमत कभी लेते तो ख़ुदाई लेते - राहत इंदौरी
bair duniya se kabile/qabile se ladai lete
bair duniya se kabile/qabile se ladai leteek sach ke liye kis kis se burai lete
aable apne hi angaro ke taja hai abhi
log kyu aag hatheli pe paraai lete
barf ki tarah december ka safar hota hai
ham use sath n lete to rajai lete hai
kitna manoos sa hamdardo ka ye dard raha
ishq kuch rog nahi tha jo dawai lete
chaand raato me hame dasta hai din me suraj
sharm aati hai andhero se kamaai lete
tum ne jo tod diye khwab ham un ke badle
koi keemat kabhi lete to khudai lete - Rahat Indori