परिंदे अब भी पर तोले हुए है - दुष्यंत कुमार

परिंदे अब भी पर तोले हुए है

परिंदे अब भी पर तोले हुए है
हवा में सनसनी घोले हुए है

तुम्ही कमजोर पड़ते जा रहे हो
तुम्हारे ख्वाब तो शोले हुए है

गज़ब है सच को सच नहीं कहते वो
कुरान-ओ-उपनिषद खोले हुए है

मजारो से दुआए मांगते हो
अकीदे किस कदर पोले हुए है

चढ़ाता फिर रहा हु, जो चढ़ावे
तुम्हारे नाम पर बोले हुए है- दुष्यंत कुमार
मायने
अक़ीदे = आस्थाए


parinde ab bhi par tole hue hai

parinde ab bhi par tole hue hai
hawa me sansani ghole hue hai

tumhi kamjor padte ja rahe ho
tumhare khwab me to shole hue hai

gazab hai sach ko sach nahi kahte wo
kuran-o-upnishad khole hue hai

mazaro se duaae mangte ho
akide kis kadar pole hue hai

chadhata fir raha hu, jo chadhawe
tumhare naam par bole hue hai - Dushyant Kumar

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