तसव्वुर में चेहरा निहारा बहुत है
तसव्वुर में चेहरा निहारा बहुत हैये दिल तो मोहब्बत का मारा बहुत है
कभी पास आई नहीं ज़िंदगानी
उसे दूर ही से पुकारा बहुत है
ज़मी कोई छीने अगर ज़ब्र से तो
मुझे आसमां का सहारा बहुत है
किसी फ़ैसले की मैं तह तक न पहुँचा
कई बार सोचा विचारा बहुत है
जहां की तबाही के मंज़र को यारो
सनम की नज़र का शरारा बहुत है -बलजीत सिंह बेनाम
tasawwur me chehra nihara bahut hai
tasawwur me chehra nihara bahut haiye dil to mohbbat ka mara bahut hai
kabhi paas aai nahi jindgani
use door hi se pukara bahut hai
zameeN koi chheene agar zabra se to
mujhe aasmaaN ka sahara bahut hai
kisi faisle ki mai tah tak n pahucha
kai baar socha vichara bahut hai
jahaN ki tabahi ke manzar ko yaro
sanam ki nazar ka sharara bahut hai - Baljeet Singh Benam
बलजीत सिंह बेनामसम्प्रति:संगीत अध्यापक, उपलब्धियाँ:विविध मुशायरों व सभा संगोष्ठियों में काव्य पाठ, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित, विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित, आकाशवाणी हिसार और रोहतक से काव्य पाठ
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