हमजिंस अगर मिले न कोई आसमान पर - शकेब जलाली

हमजिंस अगर मिले न कोई आसमान पर

हमजिंस अगर मिले न कोई आसमान पर
बेहतर है खाक डालिए ऐसी उड़ान पर

आ कर गिरा था कोई परिंदा लहू में तर
तस्वीर अपनी छोड़ गया है चट्टान पर

यारो! मै इस नज़र की बुलंदी को क्या करू
साया भी अपना देखता हूँ आसमान पर

कितने ही ज़ख्म है मिरे एक ज़ख्म में छुपे
कितने ही तीर आ के लगे इक निशान पर

जल-थल हुई तमाम ज़मीं आसपास की
पानी की बूंद भी न गिरी सायबान पर

मलबूस खुशनुमा है मगर खोखले है जिस्म
छिलके सजे हो जैसे फलो की दुकान पर

हक़ बात आ के रुक सी गयी थी कभी शकेब
छाले पड़े हुए है अभी तक जबान पर - शकेब जलाली
मायने
हमजिंस = अपनी नस्ल का आदमी, मलबूस = कपडे, खुशनुमा = सुन्दर, हक़ = सच


hamjins agar mile n koi aasmaan par

hamjins agar mile n koi aasmaan par
behtar hai khak daliye aisi udaan par

aa kar gira tha koi parinda lahu me tar
tasweer chhod gaya hai chattan par

yaaron! mai is nazar ki bulandi ko kya karoo
saaya bhi apna dekhta hu aasmaan par

kitne hi zakhm hai mire ek zakhm me chhupe
kitne hi teer aa ke lage ik nishan par

jal-thal hui tamaan zameen aaspaas ki
paani ki bund bhi n giri saaybaan par

malbus khushnuma hai magar khokhle hai jism
chhilke saje ho jaise falo ki dukaan par

haq baat aa ke ruk si gayi thi kabhi Shakeb
chhale pade hue hai abhi tak zabaan par - Shakeb Jalali

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