अमीर-ए-शहर को तलवार करने वाला हूँ
अमीर-ए-शहर को तलवार करने वाला हूँ,मै जी हुजूरी से इंकार करने वाला हूँँ
कहो अंधेरो से दामन समेट ले अपना,
मै जुगनुओ को अलमदार करने वाला हूँ
तुम अपने शहर के हालात जान सकते हो,
मै अपने आप को अखबार करने वाला हूँ
मै चाहता था कि छूटे न साथ भाई का,
मगर वो समझा के वार करने वाला हूँ
बदन का कोई हिस्सा खरीद सकते हो,
मै अपने जिस्म को बाज़ार करने वाला हूँ
तुम अपनी आँखों से सुनना मेरी कहानी को,
लब-ए-खामोश से इज़हार करने वाला हूँ
हमारी राह में हाएल कोई नहीं होगा,
तू एक दरिया है मै पार करने वाला हूँ - मुनव्वर राना
मायने
अलमदार = झंडा लेकर चलने वाला, हाएल = बाधा
amir-e-shahar ko talwar karne wala hun
amir-e-shahar ko talwar karne wala hun,mai ji hujuri se inkaar karne wala hun
kaho andhero se daman samet le apna,
mai jugnuo ko alamdar karne wala hun
tum apne shahar ke halat jaan sakte ho,
mai apne aap ko akhbar karne wala hun
mai chahta tha ki chute n sath bhai ka,
magar wo samjha ke waar karne wala hun
badan ka koi hissa kharid sakte ho,
mai apne jism ko bazar karne wala hun
tum apni aankho se sunna meri kahani ko,
lab-e-khamosh se izhar karne wala hun
hamari raah me hael koi nahi hoga,
tu ek dariya hai mai paar karne wala hun - Munawwar Rana
Bahut badiya prastuti ...
क्या बात है !
मुनव्वर राना को पढ़ना अपने आप में एक अनुभव है
शुक्रिया इस कलाम को पढ़वाने के लिये