ये सोचा नहीं है किधर जाएँगे - आलम खुर्शीद

ये सोचा नहीं है किधर जाएँगे

ये सोचा नहीं है किधर जाएँगे
मगर हम यहाँ से गुज़र जाएँगे

इसी खौफ से नींद आती नहीं
कि हम ख्वाब देखेंगे डर जाएँगे

डराता बहुत है समन्दर हमें
समन्दर में इक दिन उतर जाएँगे

जो रोकेगी रस्ता कभी मंज़िलें
घड़ी दो घड़ी को ठहर जाएँगे

कहाँ देर तक रात ठहरी कोई
किसी तरह ये दिन गुज़र जाएँगे

इसी खुशगुमानी ने तनहा किया
जिधर जाऊँगा, हमसफ़र जाएँगे

बदलता है सब कुछ तो 'आलम' कभी
ज़मीं पर सितारे बिखर जाएँगे- आलम खुर्शीद


ye socha nahi hai kidhar jayenge

ye socha nahi hai kidhar jayenge
magar ham yaha se gujar jayenge

isi khouf se nind aati nahi
ki ham khwab dekhenge dar jayenge

darata bahut hai samundar hame
samandar me ik din utar jayenge

jo rokegi rasta kabhi manjile
ghadi do ghadi ko thahar jayenge

kahaa der tak raat thahri koi
kisi tarah ye din gujar jayenge

isi khushgumani ne tanha kiya
jidhar jaaunga, hamsafar jayenge

badlata hai sab kuch to Aalam kabhi
Jamin par sitare bikhar jayenge- Aalam Khurshid
ये सोचा नहीं है किधर जाएँगे - आलम खुर्शीद

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