आग है पानी है मिट्टी है हवा है मुझ में - कृष्ण बिहारी नूर

आग है पानी है मिट्टी है हवा है मुझ में

आग है पानी है मिट्टी है हवा है मुझ में
और फिर मानना पड़ता है ख़ुदा है मुझ में

अब तो ले दे के वही शख़्स बचा है मुझ में
मुझ को मुझ से जो जुदा कर के छुपा है मुझ में

जितने मौसम हैं सभी जैसे कहीं मिल जाएँ
इन दिनों कैसे बताऊँ जो फ़ज़ा है मुझ में

आइना ये तो बताता है मैं क्या हूँ लेकिन
आइना इस पे है ख़ामोश कि क्या है मुझ में

अब तो बस जान ही देने की है बारी ऐ 'नूर'
मैं कहाँ तक करूँ साबित कि वफ़ा है मुझ में - कृष्ण बिहारी नूर


aag hai pani hai mitti hai hawa hai mujh mein

aag hai pani hai mitti hai hawa hai mujh mein
aur phir manna padta hai khuda hai mujh mein

ab to le de ke wahi shakhs bacha hai mujh mein
mujh ko mujh se jo juda kar ke chhupa hai mujh mein

jitne mausam hain sabhi jaise kahin mil jaen
in dinon kaise bataun jo faza hai mujh mein

aaina ye to batata hai main kya hun lekin
aaina is pe hai khamosh ki kya hai mujh mein

ab to bas jaan hi dene ki hai bari ai 'nur'
main kahan tak karun sabit ki wafa hai mujh mein - Krishn Bihari Noor

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