मौत आई नहीं फिर भी मारा गया - निज़ाम फतेहपुरी

मौत आई नहीं फिर भी मारा गया

वज़्न - 212 212 212 212
अरकान - फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन

मौत आई नहीं फिर भी मारा गया।
खेलने जब जुआ ये नकारा गया।।

हार कर भी कभी होश आया नहीं।
कर्ज लेकर हमेशा दुबारा गया।।

जिसको आदत जुआ की बुरी पड़ गई।
समझो गर्दिश में उसका सितारा गया।।

अब बचा पास मेरे है कुछ भी नहीं।
जो था सुख चैन दिलका वो सारा गया।।

मुझको चंदे का देखो मिला है कफ़न।
कैसे ज़िंदा जनाज़ा हमारा गया।।

हर जुआरी का होता यही हाल है।
जिसने खेला इसे वो बेचारा गया।।

कर दिया इसने बदनाम देखो निज़ाम ।
मैं जुआरी भी कह कर पुकारा गया।। - निज़ाम फतेहपुरी


maut aai nahi phir bhi mara gaya

maut aai nahi phir bhi mara gaya
khelne jab jua ye nakara gaya

haar kar bhi kabhi hosh aaya nahin
karz lekar hamesha dubara gaya

jisko aadat juaa ki buri pad gai
samjho gardish me uska sitara gaya

ab bacha paas mere hai kuchh bhi nahin
jo tha sukh chain dil ka wo sara gaya

mujhko chande ka dekho mila hai kafan
kaise zinda janaza hamara gay

har juaari ka hota yahi haal hai
jisne khela ise wo bechara gaya

kar diya isne badnaam dekho nizam
mai juaari bhi kah kar pukara gaya - Nizam Fatehpuri

Post a Comment

कृपया स्पेम न करे |

Previous Post Next Post