दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती - निदा फ़ाज़ली

दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती हँसते हुए चेहरों से है बाज़ार की ज़ीनत रोने की यहाँ वैसे भी फ़ुर्सत नहीं मिलती - निदा फ़ाज़ली

दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती

दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती
ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती

कुछ लोग यूँही शहर में हम से भी ख़फ़ा हैं
हर एक से अपनी भी तबीअ'त नहीं मिलती

देखा है जिसे मैं ने कोई और था शायद
वो कौन था जिस से तिरी सूरत नहीं मिलती

हँसते हुए चेहरों से है बाज़ार की ज़ीनत
रोने की यहाँ वैसे भी फ़ुर्सत नहीं मिलती

निकला करो ये शम्अ लिए घर से भी बाहर
कमरे में सजाने को मुसीबत नहीं मिलती - निदा फ़ाज़ली


dil mein na ho jurat to mohabbat nahin milti

dil mein na ho jurat to mohabbat nahin milti
khairaat mein itni badi daulat nahin milti

kuchh log yunhi shahr mein hum se bhi khafa hain
har ek se apni bhi tabiat nahin milti

dekha hai jise main ne koi aur tha shayad
wo kaun tha jis se teri surat nahin milti

hanste hue chehron se hai bazar ki zinat
rone ki yahan waise bhi fursat nahin milti

nikla karo ye shama liye ghar se bhi bahar
kamre mein sajaane ko musibat nahin milti - Nida Fazli

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