फिर वही क़िस्सा सुनाना तो चाहिए
फिर वही क़िस्सा सुनाना तो चाहिएफिर वही सपना सजाना तो चाहिए
यूँ मशक़्क़त इश्क़ में करनी चाहिए
जाम नज़रों से पिलाना तो चाहिए
अब ख़ता करने जहाँ जाना चाहिए
अब पता उसका बताना तो चाहिए
दिल जगाकर नींद में ख़्वाबों को सुला
ये जहाँ अपना बनाना तो चाहिए
दिन निकलते ही जगाते हो तुम किसे
शाम को आ कर बताना तो चाहिए
रोकती है गर नुमाइश थकने से तब
इस अता से घर बनाना तो चाहिए
आपबीती, आदतन या बीमार है
दर्द कितना है बताना तो चाहिए
आसमाँ से गुफ़्तुगू होती ही नहीं
लड़ झगड़ने को ज़माना तो चाहिए - मुहम्मद आसिफ अली
phir wahi kissa sunana to chahiye
phir wahi kissa sunana to chahiyephir wahi sapna sajana to chahiye
yun mashqqat ishq me karni chahiye
jaam nazro se pilana to chahiye
ab khata karne jahan jana chahiye
ab pata uska batana to chahiye
dil jagakar neend me khwawo ko sula
ye jahan apna banana to chahiye
din niklate hi jagate ho tum kise
sham ko aa kar batana to chahiye
rokti hai gar numaaish thakne se tab
is ataa se ghar banana to chahiye
aapbeeti, aadatan ya beemar hai
dard kitna hai batana to chahiye
aasmaan se guftgu hoti hi nahin
lad jhagdane ko zamana to chahiye - Muhammad Asif Ali