तुम्हारी दोस्त-नवाजी में गर कमी होती– सलमान अख्तर

तुम्हारी दोस्त-नवाजी में गर कमी होती

तुम्हारी दोस्त-नवाजी में गर कमी होती
ज़मीं टूट के तारों पे गिर गई होती

बहुत से लोग पशेमान हो गए होते
जो बात सच थी अगर वो कही गई होती

ख़ुशी ने ठीक किया जो हमसे दूर दूर रही
हमारे पास जो आती तो रो पड़ी होती

तुझे भी लोग हमारी तरह समझ लेते
हमारे जैसो से तेरी अगर दोस्ती होती

मैं रौशनी के सराबों से तो बचा रहता
नसीब में जो ज़रा और तीरगी होती – सलमान अख्तर


tumhari dost-nawazi me gar kami hoti

tumhari dost-nawazi me gar kami hoti
zameen tut ke taaro pe gira gayi hoti

bahut se log pasheman ho gaye hote
jo baat sach thi agar wo kahi gayi hoti

khushi ne thik kiya jo hamse door door rahi
hamare oaas jo aati to ro padi hoti

tujhe bhi log hamari tarah samjh lete
hamare jaiso se teri agar dosti hoti

mai roshni ke sarabo se to bacha rahta
naseeb me jo zara aur teergi hoti - Salman Akhtar

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