दोस्त हो जब दुश्मन-ए-जाँ तो क्या मालूम -ख्वाजा हैदर अली आतिश

दोस्त हो जब दुश्मन-ए-जाँ तो क्या मालूम हो आदमी को किस तरह अपनी कज़ा मालूम हो - ख्वाजा हैदर अली आतिश

दोस्त हो जब दुश्मन-ए-जाँ तो क्या मालूम हो

दोस्त हो जब दुश्मन-ए-जाँ तो क्या मालूम हो
आदमी को किस तरह अपनी कज़ा मालूम हो

आशिक़ों से पूछिये खूबी लब-ए-जाँबख्श की
जौहरी को क़द्र-ए-लाल-ए-बेबहा मालूम हो

दाम में लाया है "आतिश" सब्जा-ए-ख़त-ए-बुतां
सच है क्या इंसा को किस्मत का लिखा मालूम हो - ख़्वाजा हैदर अली आतिश


dost ho jab dushman-e-jaan to kya maloom ho

dost ho jab dushman-e-jaan to kya maloom ho
aadmi ko kis tarah apni kaza maloom ho

aashiqo se puchhiye khubi lab-e-jaan bakhsh ki
jouhari ko kadr-e-laal-e-bebha maloom ho

daam me laya hai aatish saba-e-khat-e-butaaN
sach hai kya insa ko kismat ka likha maloom ho - Khwaja Haidar Ali Atish

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