ये जब तक उनमें बीमारी रहेगी - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी

ये जब तक उनमें बीमारी रहेगी

ये जब तक उनमें बीमारी रहेगी
सियासत की तरफदारी रहेगी

हम उसमें ढूंढते ही सच रहेंगे
वो बातें सिर्फ अखबारी रहेगी

ग़रीबों से कहां का वास्ता है
तुम्हारी बस अदाकारी रहेगी

रहेंगे जब तलक नस्लों के झगड़े
जहां तक हो महामारी रहेगी

दिखाएंगे भला हम क्या हुनर को
अगर हर चीज बाज़ारी रहेगी

नज़र से दूर जिसको कर दिया है
वो सब बेटियां भी प्यारी रहेगी

तुम्हारी सोच चाहे जो करो तुम
हमारी तो वफादारी रहेगी - डॉ. जियाउर रहमान जाफरी


ye jab tak unme bimari rahegi

ye jab tak unme bimari rahegi
siyasat ki tarafdari rahegi

ham usme dhundhte hi sach rahenge
wo baate sirf akhbari rahengi

garibo se kahan ka wasta hai
tumhari bas adakari rahegi

rahenge jab talak naslo ke jhagde
jaha tak ho mahamari rahengi

dikhayegi bhala ham kya hunar ko
agar har cheez bazaari rahengi

nazar se door jisko kar diya hai
wo sab betiya bhi pyari rahengi

tumhari soch chahe jo karo tum
hamari to wafadari rahegi - Dr. Zia Ur Rehman Zafri
परिचय

डॉ. जिया उर रहमान जाफरी साहब ने हिन्दी से पी एचडी और एम॰ एड किया है | आप मुख्यतः ग़ज़ल विधा में लिखते है | आप हिन्दी उर्दू और मैथिली की राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित लेखन करते आ रहे है | आपको बिहार आपदा विभाग और बिहार राजभाषा विभाग से पुरुस्कृत किया जा चूका है |
आपकी मुख्य प्रकाशित कृतियों में खुले दरीचे की खुशबू (हिन्दी ग़ज़ल), खुशबू छू कर आई है (हिन्दी ग़ज़ल), चाँद हमारी मुट्ठी में है (बाल कविता), परवीन शाकिर की शायरी (आलोचना), लड़की तब हँसती है (सम्पादन) शामिल है |
फ़िलहाल आप बिहार सरकार में अध्यापन कार्य कर रहे है |

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