बोले बग़ैर हिज्र का क़िस्सा सुना गया - वीरेन्द्र खरे अकेला

बोले बग़ैर हिज्र का क़िस्सा सुना गया सब दिल का हाल आपका चेहरा सुना गया - वीरेन्द्र खरे अकेला

बोले बग़ैर हिज्र का क़िस्सा सुना गया

बोले बग़ैर हिज्र का क़िस्सा सुना गया
सब दिल का हाल आपका चेहरा सुना गया

इस दौर में किसी को किसी का नहीं लिहाज़
बातें हज़ार अपना ही बेटा सुना गया

भूखे भले ही मरते, न करते उधारियाँ
सौ गालियाँ सवेरे से बनिया सुना गया

वो नाग है कि फन ही उठाता नहीं ज़रा
धुन बीन की हरेक सँपेरा सुना गया

दिल का सुकून छीनने आया था नामुराद
दिलचस्प एक क़िस्सा अधूरा सुना गया

उस रब के फै़सले का मुझे इन्तज़ार है
मुन्सिफ़ तो अपना फ़ैसला कब का सुना गया

क्यों मोम हो गई हैं ये पत्थर की मूरतें
क्या इनको अपना दर्द 'अकेला' सुना गया - विरेन्द्र खरे अकेला


bager bole hizr ka kissa suna gaya

bager bole hizr ka kissa suna gaya
sab dil ka haal aapka chehra suna gaya

is dour me kisi ko kisi ka nahi lihaz
baate hzar apna hi beta suna gaya

bhukhe bhale hi marte, n karte udhariyan
sou galiya sawere se baniya suna gaya

wo nag hai ki fan hi uthata nahi zara
dhun been ki harek sapera suna gaya

dil ka sukun chhinne aaya tha namurad
dilchasp ek kissa adhura suna gaya

us rab ke faisle ka mujhe intizar hai
munsif to apna faisla kab ka suna gaya

kyo mom ho gayi hai ye patthar ki murte
kya inko apna dard 'Akela' suna gaya- Virendra Khare Akela

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