ग़म मिटाने की दवा सुनते हैं मयख़ाने में है - निज़ाम फतेहपुरी

ग़म मिटाने की दवा सुनते हैं मयख़ाने में है

ग़म मिटाने की दवा सुनते हैं मयख़ाने में है।
आओ चल कर देख लें क्या चीज़ पैमाने में है।।

हुस्न की शम्मा का चक्कर सब लगाते हैं मगर।
जान दे देने की हिम्मत सिर्फ परवाने में है।।

मय कदे में कौन सुनता है किसी की बात को।
हर कोई मशग़ूल इक दूजे को समझाने में है।।

चार दिन जीना मगर जीना जहाँ में शान से।
सौ बरस ज़िल्लत से जीना अच्छा मर जाने में है।।

एक मयकश से जो पूँछा किस लिए पीते हो तुम।
हंस के बोला पी के देखो दम तो अजमाने में है।।

हम तो बरसों से खड़े बस इक झलक को ऐ सनम।
आपको इतना तकल्लुफ़ बाम पर आने में है।।

एक दिन साक़ी की महफ़िल में गया जब ये निज़ाम।
पी गया बोतल सभी क्या मौज पी जाने में है।। - निज़ाम फतेहपुरी


gham mitane ki dawa sunte hai maikhane me hai

gham mitane ki dawa sunte hai maikhane me hai
aao chal kar dekh le kya cheez paimane me hai

husn ki shamma ka chakkar sab lagate hai magar
jaan de dene ki himmat sirf parwane me hai

may kade me koun sunta hai kisi ki baat ko
har koi mashgul ik duje ko samjhane me hai

chaar deen jeena magar jeena jahan me shaan se
sau baras zillat se jeena achcha mar jane me hai

ek maykash se jo puchha kis liye pite ho tum
hans ke bola pi ke dekho dam to aajmane me hai

ham to barso se khade bas ik jhalak ko ae sanam
aapko itna taklluf baam par aane me hai

ek din saaqi ki mahfil me gaya jab ye nizam
pi gaya botal sabhi kya mouj pi jane me hai - Nizam Fatehpuri

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