करे छलनी वतन को जो उसे हमदर्द कहते हो - आतिश इंदौरी

करे छलनी वतन को जो उसे हमदर्द कहते हो

करे छलनी वतन को जो उसे हमदर्द कहते हो
है रक्षक हिंद का जो उस को दहशतगर्द कहते हो

तुम्हारे शोर में पीड़ा हमारी कौन सुन पाता
तुम्हे आदत है कि चिल्ला के झूटा दर्द कहते हो

शिकायत चीख़ कर करने से हासिल कुछ नहीं होगा
ये आदत है तुम्हारी कि हरे को ज़र्द कहते हो

हमेशा से तिलक बन कर ये माथे पर विराजे हैं
बहुत पावन है ये रज-कण जिसे तुम गर्द कहते हो - आतिश इंदौरी


kare chhalni watan ko jo use hamdard kahte ho

kare chhalni watan ko jo use hamdard kahte ho
hai rakshak hind ka jo us ko dahshatgard kahte ho

tumhare shor me peeda hamari kaun sun pata
tumhe aadat hai ki chilla ke jhutha dard kahte ho

shikayat cheekh karkarne se hasil kuchh nahi hoga
ye aadat hai tumhari ki hare ko zard kahte ho

hamesha se tilak ban kar ye mathe pe viraje hain
bahut pawan hai ye raj-kan jise tum gard kahte ho - Atish Indori

Post a Comment

कृपया स्पेम न करे |

Previous Post Next Post