तीर नज़रों का उनका चलाना हुआ - बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

तीर नज़रों का उनका चलाना हुआ

बह्र:- 212*4

तीर नज़रों का उनका चलाना हुआ,
और दिल का इधर छटपटाना हुआ।

हाल नादान दिल का न पूछे कोई,
वो तो खोया पड़ा आशिक़ाना हुआ।

ये शब-ओ-रोज़, आब-ओ-हवा आसमाँ,
शय अज़ब इश्क़ है सब सुहाना हुआ।

अब नहीं बाक़ी उसमें किसी की जगह,
जिनकी यादों का दिल आशियाना हुआ।

क्या यही इश्क़ है, रूठा दिलवर उधर,
और दुश्मन इधर ये जमाना हुआ।

जो परिंदा मोहब्बत का दिल में बसा,
बाग़ उजड़ा तो वो बेठिकाना हुआ।

शायरी ग़म भुलाती थी तेरे 'नमन',
शौक़ उल्फ़त का पर दिल जलाना हुआ। - बासुदेव अग्रवाल 'नमन'


teer nazroN ka unka chalana hua

teer nazroN ka unka chalana hua
aur dil ka idhar chhatpatana hua

haal nadan dil ka n puchhe koi
wo to khoya pada aashikana hua

ye shab-o-roj, aab-o-hawa aasmaaN,
shay azab ishq hai sab suhana hua

ab nahi baaki usme kisi ki jagah
jinki yaado ka dil aashiyana hua

kya yahi ishq hai, ruthaa dilbar udhar
aur dushaman idhar ye jamana hua

jo parinda mohbbat ka dil me basa
baagh ujda to wo bethikana hua

shayari gham bhulati thi tere 'Naman'
Shauq ulfat ka par dil jalana hua - Basudeo Agarwal Naman

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