चल मुसाफिर बत्तियां जलने लगी - बशीर बद्र

चल मुसाफिर बत्तियां जलने लगी आसमानी घंटिया बजने लगी दिन के सारे कपडे ढीले हो गए रात की सब चोलिया कसने लगी

चल मुसाफिर बत्तियां जलने लगी

चल मुसाफिर बत्तियां जलने लगी
आसमानी घंटिया बजने लगी

दिन के सारे कपडे ढीले हो गए
रात की सब चोलिया कसने लगी

डूब जाएँगे, सभी दरिया, पहाड
चांदनी की नदिया चढने लगी

जामुनो के बाग पर छाई घटा
ऊदी-ऊदी लड़किया हसने लगी

रात की तन्हाइयों की सोचकर
चाय की दो प्यालिया हसने लगी

दौड़ते है फूल बस्ती को दबाए
पांवो-पांवो तितलिया चलने लगी - बशीर बद्र


Chal musafir battiyan chalne lagi

Chal musafir battiyan chalne lagi
aasmani ghantiyan bajnae lagi

din ke sare kapde dheele ho gaye
raat ki sab choliya kasne lagi

dub jayenge, sabhi daria, pahad
chandani ki nadiya chadne lagi

jamuno ke baag par chhai ghata
udi-udi ladkiyan hasne lagi

raat ki tanhaiyon ki sochkar
chaay ki do pyaliya hasane lagi

doudte hai phool basti ko dabaye
paanvo-paanvo titliyan chalane lagi - Bashir Badra

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