ए फलक चाहिए जी भर के नजारा हमको - दाग़ देहलवी

ए फलक चाहिए जी भर के नजारा हमको जा के आना नहीं दुनिया में दोबारा हमको

ए फलक चाहिए जी भर के नजारा हमको

ए फलक चाहिए जी भर के नजारा हमको
जा के आना नहीं दुनिया में दोबारा हमको

हम किसी जुल्फे-परेशा की तरह ए तक़दीर
खूब बिगड़े थे मगर खूब सवारा हमको

शुक्र सद शुक्र की अब कब्र में हम जा पहुचे
तौसने-उम्र ने मंजिल पे उतारा हमको

बदसलूकी में मजा क्या है, मजा है इसमें
की हमारा हो तुम्हे पास, तुम्हारा हमको

बहरे-हस्ती में हुए कश्ती-ए-तुफा हम तो
नहीं मिलता है कही 'दाग़' किनारा हमको - दाग़ देहलवी
मायने
फलक = आसमाँ, जुल्फे-परेशा = उलझी हुई जुल्फ (मुकद्दर का ख़राब होना), सद शुक्र = सौ बार शुक्र, तौसने उम्र = उम्र का घोडा, पास = ख्याल/लिहाज, बहरे-हस्ती = जीवन साग़र, कश्ती-ए-तुफा = मझधार में घिरी नाव


ae falak chahiye ji bhar ke nazara hamko

ae falak chahiye ji bhar ke nazara hamko
ja ke jana nahi duniya me dobara hamko

ham kisi zulf-e-paresha ki tarah ae takder
khub bigde the magar khoob sawara hamko

shukr sad shukr ki ab kbra me ham ja pahuche
tousne-umr ne manzil pe utara hamko

badsaluki me maja kya hai, maja hai isme
ki hamara ho tumhe paas, tumhara hamko

bahre-hasti me hue kashti-e-tufaan ham to
nahi milta hai kahi daagh kinara hamko - Dagh Dehlvi

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