दिल के मचल रहे मेरे अरमान क्या करें - निज़ाम फतेहपुरी

दिल के मचल रहे मेरे अरमान क्या करें

दिल के मचल रहे मेरे अरमान क्या करें
हम ख़ुद से हो गए हैं परेशान क्या करें

कश्ती हमारी टूटी है दरिया है बाढ़ पर
मझधार में ही आ गया तूफ़ान क्या करें

दामन में लग न जाए कहीं डर है दाग का
पीछे पड़ा हुआ है ये शैतान क्या करें

ज़ालिम को इतनी छूट भी अच्छी नहीं ख़ुदा
शहरों को होते देखा है वीरान क्या करें

झूठी है ज़िंदगी यहाँ मरना सभी को है
सब जान कर भी बन गए अनजान क्या करें

दौलत कमा के हमने महल भी बनाये हैं
जाना है खाली हाथ ये सामान क्या करें

कल क्या "निज़ाम" होगा किसी को ख़बर नहीं
फिर भी है भूला मौत को इंसान क्या करें - निज़ाम फतेहपुरी


dil ke machal rahe mere armaan kya kare

dil ke machal rahe mere armaan kya kare
ham khud se ho gaye pareshan kya kare

kashti hamari tuti hai dariya hai baadh par
majhdhar me hi aa gaya tufaan kya kare

daman me lag n jaye kahin dar hai daagh ka
peechhe pada hua hai ye shaitaan kya kare

zalim ko itni chhut bhi achchhi nahi khuda
shaharo ko hote dekha hai veeran kya kare

jhuthi hai zindagi yahan marna sabhi ko hai
sab jan kar bhi ban gaye anjan kya kare

daulat kama ke hamne mahal bhi banaye hai
jana hai khali hath ye saman kya kare

kal kya nizam hoga kisi ko khabar nahin
phir bhi hai bhula maut ko insaan kya kare - Nizam Fatehpuri

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