दरिया-दरिया कुचा-कुचा तू ही तू - शाहिद जमाल

दरिया-दरिया कुचा-कुचा तू ही तू

दरिया-दरिया कुचा-कुचा तू ही तू
आँखे हो तो कतरा-कतरा तू ही तू

नहरे, नदियाँ, सागर, झरने और तालाब
है सबका बस एक वजीफ़ा तू ही तू

चीख़ रहे है इन्द्रधनुष के सारे रंग
लाल, हरा या पीला-नीला तू ही तू

जब से कर दी सारी समाअत तेरे नाम
मुझ को सुनायी दे हर लम्हा तू ही तू

मेरे किसी भी ख़्वाब को जब ताबीर मिली
मेरी इन आँखों से बरसा तू ही तू

नन्हे-नन्हे बच्चों को क्या दर्स दूँ मैं
मेरे लिये तो चेहरा-चेहरा तू ही तू

मै ही मै की फ़िक्र से हो जाता आज़ाद
काश कि मुझ में ज़म ही जाता तू ही तू - शाहिद जमाल


dariya-dariya kucha-kucha tu hi tu

dariya-dariya kucha-kucha tu hi tu
aankh ho to katra-katra tu hi tu

nahre, nadiyan, sagar, jharne aur talab
hai sabka bas ek wazifa tu hi tu

cheekh rahe hai indradhanush ke sare rang
laal, hara ya pila-nila tu hi tu

jab se kar di sari samaaat tere naam
mujh ko sunayi de har lamha tu hi tu

mere kisi bhi khwab ko jab tabeer mili
meri in aankho se barsa tu hi tu

nanhe-nahe bachhon ko kya dars dun main
mere liye to chehra-chehra tu hi tu

main hi mai ki fiqr se ho jata aazad
kaash ki mujh me zam hi jata tu hi tu - Shahid Jamal
दरिया-दरिया कुचा-कुचा तू ही तू

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