चांदनी रात में कुछ भीगे ख़्यालों की तरह - फ़िरदौस ख़ान

चांदनी रात में कुछ भीगे ख़्यालों की तरह मैंने चाहा है तुम्हें दिन के उजालों की तरह - फ़िरदौस ख़ान

चांदनी रात में कुछ भीगे ख़्यालों की तरह

चांदनी रात में कुछ भीगे ख़्यालों की तरह
मैंने चाहा है तुम्हें दिन के उजालों की तरह

साथ तेरे जो गुज़ारे थे कभी कुछ लम्हें
मेरी यादों में चमकते हैं मशालों की तरह

इक तेरा साथ क्या छूटा हयातभर के लिए
मैं भटकती रही बेचैन ग़ज़ालों की तरह

फूल तुमने जो कभी मुझको दिए थे ख़त में
वो किताबों में सुलगते हैं सवालों की तरह

तेरे आने की ख़बर लाई हवा जब भी कभी
धूप छाई मेरे आंगन में दुशालों की तरह

कोई सहरा भी नहीं, कोई समंदर भी नहीं
अश्क आंखों में हैं वीरान शिवालों की तरह

पलटे औराक़ कभी हमने गुज़श्ता पल के
दूर होते गए ख़्वाबों से मिसालों की तरह - फ़िरदौस ख़ान


Chandni raat me kuch bhige khayalo ki tarah

Chandni raat me kuch bhige khayalo ki tarah
maine chaha hai tumhe din ke ujalo ki tarah

sath tere jo gujare the kabhi kuch lamhe
meri yado me chamkate hai mashalo ki tarah

ik tera sath kya chhuta hayatbhar ke liye
mai bhatkati rahi baichain gazalo ki tarah

phool tumne jo kabhi mujhko diye the khat me
wo kitabo me sulgate hai sawalo ki tarah

tere aane ki khabar laai hawa jab bhi kabhi
dhoop chhai mere aangan me dushalo ki tarah

koi sahra bhi nahi, koi samndar bhi nahi
ashq aankho me hai veeran shiwalo ki tarah

palte aourak kabhi hamne gujshta pal ke
door hote gaye khwabo se misalo tarah - Firdous Khan

Aapka Blog Address hai - firdausdiary.blogspot.com

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