सोचते हैं तो कर गुजरते हैं
सोचते हैं तो कर गुजरते हैंहम तो मंझधार में उतरते हैं
मौत से खेलते हैं हम, लेकिन
ग़ैर की बंदगी से डरते हैं
जान अपनी तो है हमें भी अज़ीज़
फिर भी शोलों पे रक़्स करते हैं
दिल-फ़िगारों से पूछकर देखो
कितनी सदियों में घाव भरते हैं
जिनको है इंदिमाले-जख़्म अज़ीज़
आमदे-फ़स्ले-गुल से डरते हैं
छुपके रोते हैं सबकी नज़रों से
जो गिला है वो खुद से करते हैं - परवीन फ़ना सैयद
Sochte hai to kar gujrate hai
Sochte hai to kar gujrate haiham to majhdar me utrate hai
mout se khelte hai ham, lekin
gair ki bandgi se darte hai
jaan apni to hai hame bhi ajeez
fir bhi sholo pe raks karte hai
dil-figaro se puchkar dekho
kitni sadiyo me ghaav bharte hai
jinko hai indimale-zakhm azeez
aamde-fasle-gul se darte hai
chupke rote hai sabki nazro se
jo gila hai wo khud se karte hai - Parveen Fana Saiyyad