गुमरही ठीक नहीं राह पे आओ लोगो - रेख़्ता पटौल्वी

गुमरही ठीक नहीं राह पे आओ लोगो

गुमरही ठीक नहीं राह पे आओ लोगो
दुश्मनी ख़त्म करो हाथ मिलाओ लोगो

देख लेना ये तआस्सुब तुम्हें ले डूबेगा
ज़िंदा रहना है तो नफ़रत को मिटाओ लोगो

हिन्द में चारों तरफ़ बिखरे मुहब्बत का गुलाल
कभी ऐसी भी कोई होली मनाओ लोगो

ये अँधेरे से अँधेरे का सफ़र क्या मआनी
अक़्ल रखते हो तो अब शमा जलाओ लोगो

कहते हैं सोने की चिड़िआ था कभी अपना वतन
क्या हुआ कैसे लुटा कुछ तो बताओ लोगो

आओ कुछ देर सुनें महर-ओ- वफ़ा की बातें
रेख़्ता मर्दे क़लन्दर को बुलाओ लोगो - रेख़्ता पटौल्वी


gumrahi thik nahi raah pe aao logo

gumrahi thik nahi raah pe aao logo
dushmani khatm karo haath milao logo

dekh lena ye taassub tumhe le dubega
zinda rahna hai to nafrat ko mitao logo

hind me charo taraf bikhre muhbbat ka gulal
kabhi aisi bhi koi holi manao logo

ye andhere se andhere ka safar kya maani
aql rakhte ho to ab shama jalao logo

kahte hai sone ki chidiyan tha kabhi apna watan
kya hua kaise luta kuchh to batao logo

aao kuchh der sune mahar-o-wafa ki baate
rekhta mard-e-qalandar ko bulaao logo - Rekhta Pataulvi

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