हद से ज्यादा भी प्यार मत करना
हद से ज्यादा भी प्यार मत करनादिल हर एक पे निसार मत करना
क्या खबर किस जगह पे रुक जाये
सास का एतबार मत करना
आईने की नज़र न लग जाये
इस तरह से श्रृंगार मत करना
तीर तेरी तरफ ही आएगा
तू हवा में शिकार मत करना
डूब जाने का जिसमे खतरा है
ऐसे दरिया को पार मत करना
देख तौबा का दर खुला है अभी
कल का तू इंतज़ार मत करना
मुझको खंज़र ने ये कहाँ है एजाज़
तू अँधेरे में वार मत करना - कमर एजाज़
had se jayada bhi pyar mat karna
had se jayada bhi pyar mat karnadil har ek pe nisar mat karna
kya khabar kis jagah pe ruk jaye
sas ka etbaar mat karna
aaine ki nazar n lag jaye
is tarah se shringar mat karna
teer teri taraf hi aayega
tu hawa me shikar mat karna
doob jane ka jisme khatra hai
aise dariya ko paar mat karna
dekh touba ka dar khula hai abhi
kal ka tu intzaar mat karna
mujhko khanzar ne ye kaha hai ejaz
tu andhere me war mat karna - Qamar Ejaz
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" आपके द्वारा प्रकाशित ये अच्छी ग़ज़ल विविधा में " आज शुक्रवार 29 अगस्त 2017 को साझा की गई है.................. https://vividha4.blogspot.in पर साझा की गई है आप भी आइएगा आज शाम 5.30 बजे.....धन्यवाद!
mast ejaj sahab