कोई शोखी तो देखे जब जरा रोना थमा मेरा
कोई शोखी तो देखे जब जरा रोना थमा मेराकहा बेदर्द ने क्यों आपने माला पिरो ली है
जफ़ाजू कह दिया मैंने मगर तुमने बुरा माना
खफा क्यों हो गए, यह आशिको की बोली-ठोली है
शबे-फुर्कत तसव्वुर था मेरा, एजाज़ था, क्या था
तेरी तस्वीर को मैंने बुलाया है तो बोली है
वो मेरी जुस्तजू में फिर रहे है, खैर हो या रब
पता मेरा बताने को क़यामत साथ हो ली है
समझ सकता न था कोई मुझे इस बज्मे-हस्ती में
गिरह थी जिंदगी मेरी अज़ल ने आके खोली है
महो-खुर्शिदो-अंजुम दोड़ते है साथ-साथ उसके
फ़लक क्या है, किसी माशुके-बेपरवा की टोली है - अल्लामा इक़बाल
koi shokhi to dekhe jab zara rona thama mera
koi shokhi to dekhe jab zara rona thama merakaha bedard ne kyo aapne mala piro li hai
zafazu kah diya maine magar tumne bura mana
khafa kyo ho gaye, yah aashiqo ki boli-tholi hai
shab-e-furqat tha mera, ejaz tha, kya tha
teri tasweer ko maine bulaya hai to boli hai
wo meri zustzu me phir rahe hai, khair ho ya rab
pata mera batane ko kayamat sath ho li hai
samajh sakta n tha koi mujhe is bazm-e-hasti me
girah thi zindgi meri azal ne aake kholi hai
maho-khurshido-anzum dodte hai sath-sath uske
falaq kya hai, kisi mashuke-beprwah ki toli hai - Allama Iqbal