धोए गए हम ऐसे कि बस पाक हो गये
सर्फे-बहा-ए-मय हुए आलाते-मयकशी
थे ये ही दो हिसाब, यो यूँ पाक हो गये
रुसवा-ए-दह गो हुए आवारगी से तुम
बारे, तबीयतो के तो चालाक हो गये
कहता है कौन नाला-ए-बुलबुल को बेअसर
परदे में गुल के, लाख जिगर चाक हो गये
पूछे है क्या वुजूद-ओ-अदम अहले-शौक का
आप अपनी आग के खस-ओ-खाशाक हो गये
करने गये थे उससे तगाफुल का हम गिला
कि एक ही निगाह, कि बस ख़ाक हो गये
इस रंग से उठाई कल उसने 'असद' की नाश
दुश्मन भी जिसको देख के गमनाक हो गये
मायने
सर्फे-बहा-ए-मय=मदिरा का मूल्य, रुसवा-ए-दह=संसार भर का अपमानित, नाला-ए-बुलबुल=बुलबुल का आर्तनाद, वुजूद-ओ-अदम=अस्तित्व एवं अनस्तित्व, खस-ओ-खाशाक=कूड़ा-करकट, तगाफुल=उपेक्षा, नाश=लाश
well don
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