आदत नहीं, करे जो शिकायत किसी से हम - जाज़िब आफ़ाकी

आदत नहीं, करे जो शिकायत किसी से हम

आदत नहीं, करे जो शिकायत किसी से हम
करते जरुर वरना कभी आपही से हम

देखा है जब भी आईना महसूस यु हुआ
वाकिफ हुए है जैसे किसी अजनबी से हम

हम क्या है, क्या नहीं, अभी इसका पता नहीं
वैसे दिखाई देते है एक आदमी से हम

पीछे से खेचता कोई दामन है बार-बार
शायद कुछ आगे बढ़ गए खुद-आगही से हम

आगे अभी तो और नशेबो-फ़राज़ है
आसूदगी को ढूंढते क्यों है अभी से हम - जाज़िब आफ़ाकी
मायने
खुद-आगही=आत्मज्ञान, नशेबो-फ़राज़=उतर-चढाव, आसूदगी=संतोष


aadat nahi, kare jo shikayat kisi se ham

aadat nahi, kare jo shikayat kisi se ham
karte jarur warna aaphi se ham

dekha hai jab bhi aaina mahsus yu hua
wakif hue hai jaise kisi ajnabi se ham

ham kya hai, kya nahi, abhi iska pata nahi
waise dikhai dete hai ek aadmi se ham

pichhe se khechta koi daaman hai bar-bar
shayad kuch aage badh gaye khud aaghi se ham

aage abhi to hai nashebo-faraz hai
aasudagi ko dhundhte kyo hai abhi se ham - Jazib Afaqi

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