सुनो पानी में किसकी सदा है - बशीर बद्र

सुनो पानी में किसकी सदा है कोई दरिया की तह में रो रहा है

सुनो पानी में किसकी सदा है

सुनो पानी में किसकी सदा है
कोई दरिया की तह में रो रहा है

सवेरे मेरी इन आँखों ने देखा
ख़ुदा चारों तरफ़ बिखरा हुआ है

समेटो और सीने में छुपा लो
ये सन्नाटा बहुत फैला हुआ है

पके गेहूँ की ख़ुश्बू चीखती है
बदन अपना सुनहरा हो चला है

हक़ीक़त सुर्ख़ मछली जानती है
समंदर कैसा बूढ़ा देवता है

हमारी शाख़ का नौ-खेज़ पत्ता
हवा के होंठ अक़्सर चूमता है

मुझे उन नीली आँखों ने बताया
तुम्हारा नाम पानी पर लिखा है - बशीर बद्र


suno paani me kiski sada hai

suno paani me kiski sada hai
koi dariya ki tah me ro raha hai

sawere meri in aankho ne dekha
khuda charo taraf bikhra hua hai

samete aur seene me chhupa lo
ye sannata bahut faila hua hai

pake gehu ki khushboo cheekhti hai
badan apna sunhara ho chala hai

haqiqat surkh machhli janti hai
samandar kaisa budha devta hai

hamari shaakh ka nau-khez patta
hawa ke honth aksar chumta hai

mujhe un nili aankho ne bataya
tumhara naam paani par likha hai - Bashir Badr

Post a Comment

कृपया स्पेम न करे |

Previous Post Next Post