यूँ ही हर बात पे हँसने का बहाना आए - अजय सहाब

यूँ ही हर बात पे हँसने का बहाना आए फिर वो मासूम सा बचपन का ज़माना आए

यूँ ही हर बात पे हँसने का बहाना आए

यूँ ही हर बात पे हँसने का बहाना आए
फिर वो मासूम सा बचपन का ज़माना आए

काश लौटें मिरे पापा भी खिलौने ले कर
काश फिर से मिरे हाथों में ख़ज़ाना आए

काश दुनिया की भी फ़ितरत हो मिरी माँ जैसी
जब मैं बिन बात के रूठूँ तो मनाना आए

हम को क़ुदरत ही सिखा देती है कितनी बातें
काश उस्तादों को क़ुदरत सा पढ़ाना आए

आह सहसा कभी स्कूल से छुट्टी जो मिले
चीख़ कर बच्चों का वो शोर मचाना आए

आज बचपन कहीं बस्तों में ही उलझा है 'सहाब'
फिर वो तितली को पकड़ना वो उड़ाना आए - अजय सहाब


yun hi har baat pe hansne ka bahana aaye

yun hi har baat pe hansne ka bahana aaye
phir wo masum sa bachpan ka zamana aaye

kash lauten mere papa bhi khilaune le kar
kash phir se mere hathon mein khazana aaye

kash duniya ki bhi fitrat ho meri man jaisi
jab main bin baat ke ruthun to manana aaye

hum ko qudrat hi sikha deti hai kitni baaten
kash ustadon ko qudrat sa padhana aaye

aah sahsa kabhi school se chhutti jo mile
cheekh kar bachchon ka wo shor machana aaye

aaj bachpan kahin baston mein hi uljha hai 'sahab'
phir wo titli ko pakadna wo udana aae - Ajay Sahaab

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