नाव दिल की डुबो रही है शाम - फ़िराक जलालपुरी

नाव दिल की डुबो रही है शाम

नाव दिल की डुबो रही है शाम
मौज दर मौज हो रही है शाम

ये सितारे नहीं है, आंसू है
ऐसा लगता है रो रही है शाम

बूढ़े सूरज ने झुक के दस्तक दी
बंद कमरे में सो रही है शाम

नींद से जाग कर सुलगते होठ
पानियों में भिगो रही है शाम

सर्द मौसम में गर्म अश्को से
अपने चेहरे को धो रही है शाम

चाँद कटेगा फसल सूरज की
धूप के बीज बो रही है शाम

नाम किसका "फ़िराक" याद आया
दिल में कांटे चुभो रही है शाम - फ़िराक जलालपुरी


Naav dil ki dubo rahi hai shaam

Naav dil ki dubo rahi hai shaam
mouz dar mouz ho rahi hai shaam

ye sitare nahi hai, aansu hai
aisa lagta hai ro rahi hai shaam

budhe suraj ne dastak di
band kamre me so rahi hai shaam

nind se jaag kar sulgate hoth
paniyo me bhigo rahi hai shaam

sard mousam me garm ashqo se
apne chehre ko dho rahi hai shaam

chaand katega fasal suraj ki
dhoop ke beej bo rahi hai shaam

naam kiska "Firaq" yaad aaya
dil me kaante chubho rahi hai shaam - Firaq Jalalpuri

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