दाग दुनिया ने दिए, जख्म जमाने से मिले
दाग दुनिया ने दिए, जख्म जमाने से मिलेहमको तोहफे ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले
हम तरसते ही, तरसते ही, तरसते ही रहे,
वो फलाने से, फलाने से, फलाने से मिले
खुद से मिल जाते तो चाहत का भरम रह जाता,
क्या मिले आप जो लोगों के मिलाने से मिले
कभी लिखवाने गए खत, कभी पढ़वाने गए,
हम हसीनों से इसी हीले-बहाने से मिले
इक नया जख्म मिला, एक नई उम्र मिली,
जब किसी शहर में कुछ यार पुराने से मिले
एक हम ही नहीं फिरते हैं लिए किस्सए-गम,
उनके खामोश लबों पर भी फसाने-से मिले
कैसे मानें के उन्हें भूल गया तू ऐ कैफ,
उनके खत आज हमें तेरे सिरहाने से मिले - कैफ़ भोपाली
daag duniya ne diye, zakhm jamane se mile
daag duniya ne diye, zakhm jamane se milehamko tohfe ye tumhe dost banane ke mile
ham tarsate hi, tarsate hi, tarsate hi rahe,
wo falane, falane se, falane se mile
khud se mil jate to chahat ka bharam rah jata
kya mile aap jo logo ke milane se mile
kabhi likhwane gaye khat, kabhi padhwane gaye
ham hasino se isi hile-bahane se mile
ik nya zakhm mila, ik nai umra mili
jab kisi shahar me kuch yaar purane se mile
ek ham hi nahi firte hai liye kissa-e-gham
unke khamosh labo par bhi fasane se mile
kaise maane ke unhe bhul gya tu ae kaif
unke khat aaj hame tere sirhane se mile - Kaif Bhopali