रंज की जब गुफ्तगू होने लगी - दाग़ देहलवी

रंज की जब गुफ्तगू होने लगी

रंज की जब गुफ्तगू होने लगी
आप से तुम, तुम से तू होने लगी

मेरी रुसवाई की नौबत आ गयी
शोहरत उनकी कूबकू होने लगी

अब के मिल के देखिये क्या रंग हो
फिर हमारी जुस्तजू होने लगी

दाग़ इतराए हुए फिरते है आज
शायद उनकी आबरू होने लगी - दाग़ देहलवी
मायने
रुसवाई = बदनामी, कूबकू = गली-गली, जुस्तजू = तलाश


ranj ki jab guftgu hone lagi

ranj ki jab guftgu hone lagi
aap se tu, tum se tu hone lagi

meri ruswai ki noubat aa gayi
shohrat unki koobkoo hone lagi

ab ke mil ke dekhiye kya rang ho
phir hamari justjoo hone lagi

daag itraye hue firte hai aaj
shayad unki aabru hone lagi - Daag Dehlavi

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