जिंदगी इस तरह गुजारते है - ज़हीर अब्बास

जिंदगी इस तरह गुजारते है

जिंदगी इस तरह गुजारते है
कर्ज है और उसे उतारते है

वस्ल पे शर्त बाँध लेते है
और यह शर्त रोज हारते है

आयनों में तो अक्स है खुद का
लोग पत्थर यह किसको मारते है

कितने दिल इसमें गूंध लेते है
जुल्फ-ए-खूगर को जब सवारते है

एक बाज़ी पे भूल मत जाना
पेश-ए-फतह भी लोग हारते है - ज़हीर अब्बास


Zindgi is tarah gujarate hai

Zindgi is tarah gujarate hai
karj hai aur use utarate hai

wasl pe shart baandh lete hai
aur yah shart roj haarte hai

aayno me to aks hai khud ka
log patthar yah kisko marte hai

kitne dil isme gundh lete hai
julf-e-khugar ko jab swarate hai

ek baazi pe bhul mat jana
pesh-e-fatah bhi log harte hai - Zahir Abbas

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