शब को दलिया दला करे कोई
शब को दलिया दला करे कोईसुब्ह को नाश्ता करे कोई
इस का भी फ़ैसला करे कोई
किस से कितना हया करे कोई
आदमी से सुलूक दुनिया का
जैसे अण्डा तला करे कोई
चीज़ मिलती है सर्फ़ की हद तक
अपना चमचा बड़ा करे कोई
बात वो जो कहो सर-ए-दरबार
इश्क़ जो बरमला करे कोई
सोचता हूँ कि इस ज़माने में
दादी अम्माँ को क्या करे कोई
जिस से घर ही चले न मुल्क चले
ऐसी तालीम क्या करे कोई
दिल भी इक शहर है यहाँ भी कभी
ओमनी बस चला करे कोई
ऐसी क़िस्मत कहाँ 'ज़मीर' अपनी
आ के पीछे से ता करे कोई - सय्यद ज़मीर जाफरी
मायने
सर्फ़ = खर्चो, सर-ए-दरबार = कोर्ट, बरमला = खुल्लमखुल्ला, ओमनी = सब दिशाओ में
shab ko daliya dala kare koi
shab ko daliya dala kare koisubah ko nashta kare koi
is ka bhi faisla kare koi
kis se kitna haya kare koi
aadmi se suluk duniya ka
jaise anda (Egg) tala kare koi
cheez milti hai sarf ki had tak
apna chmacha bada kare koi
baat wo jo kaho sar-e-darbar
ishq jo barmala kare koi
sochta hun ki is jamane me
dadi amma ko kya kare koi
jis se ghar hi chale n mulq chale
aisi talim kya kare koi
dil bhi ik shahar hai yaha bhi kabhi
omni bas chala kare koi
aisi kismat kahaan Zameer apni
aa ke pichhe se taa kare koi - Sayyad Zameer Jafri